निखिल वागळेंची विकेट पडणार ?

नवी दिल्ली - नेटवर्क 18 ची पुर्णपणे मालकी मुकेश अंबानी यांच्याकडे गेली आहे.आता नेटवर्क 18 मध्ये येणाऱ्या आय.बी.एन.7 आणि आय.बी.एन.-लोकमतमधील काही लोकांवर गंडातर आले आहे.एका सुत्रानुसार आय.बी.एन.लोकमतचे संपादक निखिल वागळे यांची लवकरच विकेट पडणार असल्याची माहिती प्राप्त झाली आहे.
गुजरातचे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी यांना भाजपाने पंतप्रधान पदाचे उमेदवार म्हणून जाहीर केले नसले तरी,तशी फिल्डिंग मोदी यांनी लावली आहे.ते पंतप्रधान व्हावेत,अशी देशातील काही उद्योगपतींची इच्छा आहे.मोदी आणि मुकेश अंबानीचे सलोख्याचे संबंध आहेत.त्यांच्या प्रचारासाठी अंबानी आपल्या नेटवर्क 18 मध्ये येणाऱ्या न्यूज चॅनलचा उपयोग करू शकतात.म्हणूनच या न्यूज चॅनलमध्ये असणाऱ्या मोदी विरोधकांचा पत्ता कापला जात आहे.
निखिल वागळे हे मोदींच्या विरोधात अनेकवेळा बोंब मारली आहे.ही बोंब आता त्यांना महागात पडणार असल्याची चिन्हे दिसत आहेत.वागळेंची लवकरच विकेट पडणार असल्याची बातमी भडासने दिली आहे.काय आहे ही बातमी वाचा...

एक अंग्रेजी वेबसाइट न्यूजलांड्री डाट काम की खबर पर भरोसा करें तो आईबीएन7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष को भी प्रबंधन ने जाने के लिए कह दिया था लेकिन आशुतोष ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था. इस बारे में जब वेबसाइट ने आशुतोष से संपर्क किया तो आशुतोष ने कुछ भी कहने से मना कर दिया. हां, उन्होंने यह जरूर बताया कि इस मैटर पर कुछ भी बोलने के लिए वे अथाराइज नहीं हैं.
वेबसाइट के मुताबिक आईबीएन लोकमत के एडिटर निखिल वागले भी भगाए जाने वालों की लिस्ट में हैं. देर सबेर इनकी बलि ले ली जाएगी. करन थापर को भी जाने के लिए कहा गया था लेकिन थापर ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी, तब जाकर प्रबंधन शांत हुआ और थापर बने रहने में कामयाब हुए. थापर ने इस बारे में संपर्क किए जाने पर न इनकार किया और न ही पुष्टि की. बताया जा रहा है कि कंपनी में हिस्सा होने के कारण राजदीप सरदेसाई तो बच गए लेकिन सागरिका घोष की सेलरी घटा दी गई है. वेबसाइट ने इन सारी सूचनाओं को इनसाइडर सोर्सेज के हवाले से प्रकाशित किया है.
हालांकि कहा ये जा रहा है कि मैनेजमेंट जान बूझ कर यह सब फैला रहा है ताकि संदेश यह जाए कि छंटनी के शिकार बड़े लोग भी हो सकते हैं ताकि जो छोटे इंप्लाइज छांटे गए हैं, उन्हें यह भरोसा रहे कि उनके साथ कोई खास गलत इसलिए नहीं हुआ क्योंकि ऐसा बड़ों के साथ भी होना था यो होने जा रहा है या होगा. उधर, कुछ लोगों का कहना है कि अंबानी का मेजारिटी स्टेक हो जाने के बाद लेफ्ट, सोशलिस्ट, डेमोक्रेटिक एप्रोच के एडिटर्स व जर्नलिस्ट को इस ग्रुप से देर सबेर बाहर जाना पड़ेगा क्योंकि अंबानी और मोदी में इस बात पर एका है कि यह मीडिया समूह मोदी व भाजपा को मजबूत बनाने के लिए काम करेगा.
सूत्रों के मुताबिक दुबई में इस बाबत एक शीर्ष स्तरीय बैठक भी हो चुकी है जिसमें मोदी को सपोर्ट किए जाने और पीएम बनाने के लिए जुटने के प्रस्ताव का राजदीप सरदेसाई ने विरोध किया था. फिलहाल इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में इस ग्रुप में कई बड़े उलटफेर होंगे और न्यूज चैनलों का दशा-दिशा लेफ्ट टू राइट की जाएगा, जिसके साइडइफेक्ट के बतौर बहुत सारे बाहर होंगे और कई नए अंदर लाए जाएंगे.
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