औरंगाबाद
- जस्टिस
मजीठिया वेज बोर्ड मामले में महाराष्ट्र के औरंगाबाद से एक बड़ी राहतभरी
खबर है। क्लेमकर्ता की बकाया राशि (एरिअर्स) देने का आदेश औरंगाबाद
लेबरकोर्ट ने दैनिक भास्कर की प्रबंधन कंपनी डी बी कार्प को दिया है।
वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की धारा 17 (2) के अनुसार पूरे देश में ये पहला
मामला है, जब किसी लेबर कोर्ट ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले मे
कर्मचारी के हित मे फैसला सुनाया है। मामला डी बी कार्प के समाचार पत्र
दैनिक दिव्य मराठी के डिप्टी न्यूज एडिटर तथा मजीठिया क्रांतीकारी पुरस्कार
प्राप्त सुधीर जगदाले से जुड़ा है। इस खबर से अखबार मालिकों में जहां हड़कंप
है वहीं मजीठिया क्रांतिकारियों में खुशी की तेज लहर है। रुपये 2827746.12
का दावा किया था.
केंद्र सरकारने तारीख 11/11/2011
से पत्रकार और गैरपत्रकारोंको के लिए मजीठिया वेज बोर्ड लागू किया। देशभर
के मीडिया मालिकोंने इसके खिलाफ मा. सुप्रिम कोर्ट मे याचिका दायर की।
मालिकों की यह याचिका मा. सुप्रिम कोर्ट ने खारिज कि, तारीख 07/02/2014 को
दिए गए आपने ऐतिहासिक फैसले के पॅरेग्राफ 73 मे आदेश दिया कि...
73)
In view of our conclusion and dismissal of all the writ petitions, the
wages as revised/determined shall be payable from 11.11.2011 when the
Government of India notified the recommendations of the Majithia Wage
Boards. All the arrears up to March, 2014 shall be paid to all eligible
persons in four equal instalments within a period of one year from today
and continue to pay the revised wages from April, 2014 onwards.
इस
आदेश के बाद भी डी. बी. कॉर्प ने मजीठिया वेज बोर्डनुसार वेतन नही दिया।
देशभर के पत्रकारोने फिर एक बार मा. सुप्रिम कोर्ट की शरण ली। इसदरम्यान
पत्रकार सुधीर जगदालेने भी मा. सुप्रिम कोर्ट मे अवमान याचिका (Diary
Number 11857/2017 in W.P. C. 246/2011) दाखिल की। 19/06/2017 को मा.
सुप्रिम कोर्ट ने फिर एक बार मजीठिया वेज बोर्डनुसार वेतन देना पडेगा यह
आदेश दिया। एरिअर्स के लिए कर्मचारी श्रम न्यायालय/लेबर कमिशनर के पास 17
(1/2) नुसार दावा दाखिल करने का निर्देश भी मा. सुप्रिम कोर्टने दिया था।
इस निर्देशानुसार पत्रकार सुधीर जगदाले का क्लेम मा. लेबर कोर्ट औरंगाबाद
मे शुरू था। इसपर मा. लेबर कोर्ट ने यह मामला तारीख 04/02/2019 को डिस्पोज
किया था।
डीबी कॅार्प लिमिटेड ‘दैनिक भास्कर’, ‘दिव्य
भास्कर’ सहित ‘दिव्य मराठी’ आदि का प्रकाशन करता है। स्वयं को देश का सबसे
बड़ा मीडिया हाउस बताने वाली कंपनी ‘डी बी कॅार्प लि’ को यह बडा झटका लगा
है। नाम बड़े और दर्शन छोटे… क्या विडम्बना है? कहने को चौथा खंभा।
बुद्धिजीवियों और संपादकों की फ़ौज इनके पास। इन धृतराष्ट्रों को कौन समझाए?
कानून से बड़ा कोई नहीं है। मजीठिया वेज बोर्ड के रिकव्हरी के मामले में
मीडिया कर्मचारी की यह लड़ाई रंग लाई है ।
(सुधीर जगदाले| 9923355999 )